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जब जीवन अपना तंग होता है तब जाकर मोह भंग होता है। वरना खुशियों के मौसम का तो अपना ही अलग रंग होता है।
मिलाप सिंह भरमौरी
जगह- जगह आक्रोश है फिर भी तू खामोश है तू सत्ता-सुलभ दिखाऊ है हाँ-हाँ मीडिया तू बिकाऊ है....