दिल धीरे - धीरे घवरा जाता है।
जब वक़्त जुदाई का आ जाता है।
पल साथ बिताए याद आते हैं
और आंखों में पानी आ जाता हैै ।
क्यों खुशियां हर पल देता नहीं है
क्यों कहर खुदा ये ढा जाता है।
दिन की है बस चहल- पहल सब
शाम होते ही अंधेरा छा जाता है।
....... मिलाप सिंह भरमौरी
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