यहां तु ही नहीं अकेला है
कहना ओर भी कई मोड चुके हैं।
अपने किए हुए वादे महफ़िल में
हजार तोड चुके हैं।
सुना है तरक्की बहुत पा रहें हैं
वो आज उसी पेशे में।
जो कहते थे सबकी खातिर
पेशा ही अपना हम छोड़ चुके हैं।
...... मिलाप सिंह भरमौरी
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