वो गफलत में है जो कहते हैं।
हम अटल खड़े हैं अटल रहेंगे।
देखना इक दिन लहराने वाले
बनकर पत्ते सड़कों पे झड़ेंगे।
जब कुचले जाएगें पैरों- तले
चर -चर की सी आवाज करेंगे।
वो सबको आँखे दिखाने वाले
कदमों की जरा आहट से डरेंगे।
तुम ये कैसी बातें करते हो जी
जब वो न रहे तो हम क्या रहेगें।
..... मिलाप सिंह भरमौरी
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