milap singh

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Tuesday, 23 March 2021

मौन

जीवन का पथ
सरल बहुत है
यह बिन घोड़ों से
चलता रथ है
फिर इसे जटिल बना देता है कौन?

धरती पर उपजे
जी लेते हैं सब
प्यासे पानी पी लेते हैं सब
सांस लेना भला कौन सिखाता
चलने के लिए बच्चा
खुद पैर उठता
फिर पथ को जटिल बना देता है कौन?

सुख दुख क्या है
सिर्फ मन की अवस्था
हर कोई उसे भीतर रखता
सोचने के बस कोण अलग हैं
समस्याओं से लडने के अपने ढंग हैं
स्थिति सबकी इक जैसी है
बस कोई बकता है कोई रहता मौन।

......मिलाप सिंह भरमौरी।


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