कमी मुझमें है तो
मुझको सुधारो।
कमी नियत में है तो
खुद को सुधारो।
मैं विकसित भारत का सपना देख रही हूं
यूं मुझको न नकारो।
मैं कई वर्षों से टंगी हूं खूंटे पे
मुझे अपना फर्ज निभाने दो।
भूल न जाऊं काम अपना
मुझे अब हाजरी लगाने दो।
मैं मशीन हूं इंसान नहीं
मुफ्त की सेलरी मेरी फितरत नहीं।
मुझ को इक आशा से बनाया गया है
मुझे काम के लिए लगाया गया है।
बहुत देर हुई अब तो चला दो।
अगर डर लगता है हंगामे से तो
फोर्स मंगवा लो।
पर यह डर बेवजह है
यह भारत के लोग हैं
जागरूक, करुणामय और अनुशासित
दुनिया में कहीं भी अन्याय हो जाए तो
ये ज्ञापन जरूर देते हैं।
मशाल मार्च,धरना जरूर देते हैं।
तो फिर बायोमेट्रिक मशीन के साथ
अन्याय कैसे।
मैं भी अनुशासन को परखती हूं
तो यह मेरे दुश्मन कैसे हो सकते हैं।
डाल कर पर्दा मुझपर
मुझे कैसे घोंट सकते हैं।
जरूर यह पर्दा रस्म निभाने के लिए होगा।
जरूर रिबन काटेंगे उद्घाटन पर
नारियल फोड़ेंगे,
मिठाई बांट कर तालियों की आवाज़ में,
पर्दा हटाएंगे मेरे ऊपर से।
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