milap singh

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Thursday, 14 February 2013

आकाश खुला है




आकाश खुला है 
ऊडान भरो
पर इस धरती से भी 
जुड़े रहो 
क्योंकि इक दिन 
उड़ते -उड़ते थक जायंगे
ये कामयाबी के पर 
कट जायंगे 
या वक्त का धागा 
क्षीण हो जायेगा 
तब ये धरती ही काम आएगी
अपनी ममतामयी गोदी में 
हमे सुलायेगी



Milap Singh Bharmouri

1 comment:

  1. वाह, बहुत अच्छा लिखा.... बेहतरीन सन्देश!

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