मेरा बेडा भी पार लगायो
तुसी तारे ने पत्थर भी राम जी
लोक ता लांदे ने जग ते लंगर
मुट्ठी नई नाजे दी मेरे अंदर
घर मेरे भी भोग लगायो
तुसी तारे ने गरीब भी राम जी
मेरा बेडा भी पार लगायो
तुसी तारे ने पत्थर भी राम जी
लोक ता जांदे ने मंदर-द्वारे
किराया नी जेब म़ा,रूपया मेरे
कदी मुंजो भी दर्श दिखायो
तुसी तारे ने गरीब भी राम जी
मेरा बेडा भी पार लगायो
तुसी तारे ने पत्थर भी राम जी
लोक चढांदे ने सोना ते चांदी
मेरे ता हिरदे म़ा बस श्रधा ही आंदी
मेरी श्रधा रा मुल भी जी पायो
तुसी तारे ने पत्थर भी राम जी
मेरा बेडा भी पार लगायो
तुसी तारे ने पत्थर भी राम जी
मिलाप सिंह भरमौरी
बहुत सुन्दर व् भावात्मक प्रस्तुति अफज़ल गुरु आतंकवादी था कश्मीरी या कोई और नहीं ..... आप भी जाने संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग
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