milap singh

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Wednesday, 18 October 2017

दीपावली

खड्डा खोदो तो कुआँ बनाने के लिए।
न कि किसी को उसमें गिराने के लिए।
वरना खुद ही गिर जाओगे उसमें तुम।
और कोई नहीं आएेगा उठाने के लिए।

    ........ मिलाप सिंह भरमौरी

( दीपावली के त्योहार की सभी दोस्तों को हार्दिक शुभकामनाएं। )

Tuesday, 17 October 2017

चरित्र

हम कितने खुदगर्ज होते जा रहे हैं।
अपने सिबाय सब झूठे नजर आ रहे हैं।
निरंतर गिरता जा रहा है जिसमें चरित्र।
यह कैसी रेतीली सी दुनिया बना रहे हैं।

.... मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 15 October 2017

भूख

घायल पडा है मन उलझनों की सेज पर।
आती है हँसी बहुत तमाशा जग का देखकर।
यह मिटती क्यों नहीं, यह आखिर कैसी भूख है।
टुकडे हराम के ढूंड रहा इज्जत की रोटी फेंक कर।

                ......... मिलाप सिंह भरमौरी

बादल

बादल हट गए हैं सब
मौसम साफ लगता है।

जमीं पर गिरा पानी
फिर भी खिलाफ लगता है।

फिर उडेगा हवा में
जुडेगा मिलेगा कणों से।

अभी ग्रहन कर रहा है
सूरज से यह ताप लगता है।

........ मिलाप सिंह भरमौरी