बस कमी सी तेरी खलती है।
पर शामें अब भी ढलती हैं।
तुम होते तो शायद ओर अच्छा होता
खैर! दुनिया तो अब भी चलती है।
....... मिलाप सिंह भरमौरी
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बस कमी सी तेरी खलती है।
पर शामें अब भी ढलती हैं।
तुम होते तो शायद ओर अच्छा होता
खैर! दुनिया तो अब भी चलती है।
....... मिलाप सिंह भरमौरी
अपने जीवन के इस विस्तृत मैदान में।
अवगुणों के आलंवन से खड़े हो चुके शैतान में।
आज सतगुणों के अस्त्र से प्रहार करते हैं।
रूह तक जम चुकी कालिख का संहार करते है।
..... Milap Singh bharmouri
चलने से टिकती है
और रुकने से गिर जाती है।
यह जिंदगी बिना स्टैंड की साईकिल है।
बिना स्टैंड की साइकिल
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चलती है तो टिकती है।
रुकती है तो गिर जाती है।
ओर कुछ नहीं है यह जिंदगी
सिर्फ बिना स्टैंड की साइकिल है।
....... मिलाप सिंह भरमौरी
मैं जब भी तन्हा होता हूँ।
तेरे सुंदर सपने बोता हूँ।
कभी उड़ता हूँ उन्मुक्त सा होकर
कभी देख हकीकत रोता हूँ।
कभी लगती है हर राह आसान
कभी ठोकर पे ठोकर खाता हूँ।
..... मिलाप सिंह भरमौरी
मेरे मन को हल्का करती है
जब कुदरत रंग बदलती है।
तुम भी तो कुदरत का हिस्सा हो
तू भी इक सुंदर दिल रखती है।
तेरा गुस्सा तपता सूरज है सिर्फ
मुझसे ठंडी चांदनी रातें कहती हैं।
तेरा भी मन बदलेगा जरूर
मेरे दिल से उम्मीदें कहती हैं।
....... मिलाप सिंह भरमौरी