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अपने जीवन के इस विस्तृत मैदान में।
अवगुणों के आलंवन से खड़े हो चुके शैतान में।
आज सतगुणों के अस्त्र से प्रहार करते हैं।
रूह तक जम चुकी कालिख का संहार करते है।
..... Milap Singh bharmouri
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