मैं सरकारी दफ्तर में लगी
बायोमेट्रिक अटेंडेस मशीन हूं।
करोड़ों खर्च करके मुझे लगवाया जाता है
लेकिन फिर कुछ महीनों बाद
मुझे कबाड़ बनाया जाता है।
थोड़ी नहीं बहुत गमगीन हूं।
हां मैं बायोमेट्रिक अटेंडेस मशीन हूं।
प्राइवेट दफ्तरों में
अनपढ़ लोग भी मुझे आराम से चलाते हैं
पर सरकारी लोग पता नहीं क्यों
बहाने बनाते हैं।
पता नहीं मुझमें कमी है
या यह सारा सिस्टम ही ठग है
या फिर इन सरकारी बाबुओं की
चमड़ी का पैटर्न ही अलग है।
यूं तो हर पल हर कोई
मुझे टच करने से डरता है।
पर क्या यह सच बात है कि
मुझे दूर से देखने से भी कोरोना हो सकता है।
मैं कारगर मशीन हूं और
एकमात्र विकल्प हूं भविष्य का भारी
बस अब तय आपको करना है
मुझे प्रयोग आप करेंगे या प्राइवेट कर्मचारी।
..... मिलाप सिंह भरमौरी