वो मन की एक अवस्था है।
जो समझ गया इस नुक्ते को
वह सदा खुशी में रहता है।
अनजानेपन का लिहाफ उतारो
समझ में संयम रहता है।
सीखना है तो ईलम को सीखो
सिर्फ ईर्षा से क्या बनता है ।
दौलत शोहरत क्या कर लेगी
जब भीतर आग सा जलता है।
....... मिलाप सिंह भरमौरी
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