milap singh

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Friday, 27 October 2023

मेला

बेवजह  न  झमेला करो
भावना से न खेला करो।

हाय  तौबा मचा देते हो 
कुछ दर्द भी झेला करो।

झांकी पे जलते हो क्यों
अपनी बारी पे रेला करो।

बेवक्त  नारे  किस  लिए
तुम भी त्योहार पे मेला करो।

......मिलाप सिंह भरमौरी 


Sunday, 24 September 2023

गलती


 ऐसी गलती कभी न करना।

गलती ऐसी कभी न करना
अपना मोबाईल नम्बर न बदलना।
मैं भी गलती कर बैठा था
अपना मोबाईल नम्बर बदल बैठा था।

कैसे बताऊं हृदय की पीड़
समस्या बन गई इससे गंभीर
बंद करके नंबर 
फालतू का पंगा ले लिया।
कम्पनी ने मेरा बंद नम्बर
किसी महिला को दे दिया।

रोज उस महिला को
मेरे नाम से कॉल आने लगे।
कॉल कर के लोग पछताने लगे।
अवांछित कॉल से तंग हुई महिला
रोज खूब गालियों की बौछार करती है
लोगों को लगता है कि
जिव्हा से मेरी घरवाली प्रहार करती है।

कल सुबह जब एक दोस्त मिला तो
मुझे देख के उसकी आंखे भर आई।
मैंने बड़ी उत्सुकता से पूछा
ऐसी क्या बात है भाई।
रूंधे स्वर में लगा बोलने
ऐसे माहौल में कैसे खुश रह लेते हो
इतना कठिन जीवन है तुम्हारा
फिर भी तुम हस लेते हो।

मैंने कहा जरा विस्तार से बताओ
समस्या क्या बन आई है।
जो चेहरे पे ऐसी उदासी छाई है।
कहा कल तुम्हारी बीबी ने फोन उठाया था
उसने तुम्हारी मृत्यु का समाचार सुनाया था
कहा अभी तुम्हारा अंतिम संस्कार कर के आए हैं
कुछ समझौता बगैरा कर लो
भाई क्यों आप नर्क सा जीवन बनाए हैं ।


क्या कहूं रोज किसी न किसी के साथ
ऐसी घटना होती है।
कोई आकर कह देता है मुझसे
किसी के मन में ही बात होती है।
इसलिए कह रहा हूं
गलती ऐसी कभी न करना
अपना मोबाईल नम्बर न कभी बदलना।

.......मिलाप सिंह भरमौरी।








Saturday, 23 September 2023

हिसाब

जबानी सबको आती है
खून सबका खोलता है।

जुबां खामोश रहे बेशक
पर मन सबका बोलता है।

कोई बेवजह थप्पड़ भी मार दे
तो ज्यादा रोना नहीं।
क्योंकि कौन सही कौन गलत है
रब सब देखता है ।

....मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 10 September 2023

biomatric

बायोमैट्रिक अटेंडेंस मशीन

दिनांक 10.09.23


छवि साभार :वेव


पहले दिन

जब मैं लगाई जाती हूं

ऑफिस में सन्नाटा फैल जाता है 

जैसे मातम छाया हो 

लाश के चारों ओर।



फिर शोक संतप्त कर्मचारियों की

एक मंडली बैठती है

घोर चिंतन चलता है

विचार विमर्श होता है खूब

जैसे उनकी नौकरी का

एक खूबसूरत दौर रहा हो डूब।



मुझे हटाने के

सब प्रयत्न किए जाते हैं

मैं कैसे असफल हो सकती हूं

सब यत्न किए जाते हैं

कोई कहता है

मुझसे करंट लग सकता है

जिससे एक अनुशासित कर्मचारी मर सकता है।


कोई कहता है

मुझसे विकिरण निकलता है

जिससे अनुशासित कर्मचारी

अंधा हो सकता है।

कर्मचारियों और प्रशासन में

महीनों तक चलती है नोक झोंक

कभी कामयाब नहीं होने देंगे

कहते हैं सीना ठोक।





















और ऐसे ही एक दिन

आ जाता है मेरे उद्घाटन का समय

सुर्खिया बन जाती हैं

अखबारों की

खूब निकाली जाती हैं मेरी कमियां।


बताया जाता है मुझे परेशानी का सबब 

कीमती समय की  बर्बादी का कारण।

जमा हो जाते हैं सारे मेहनतकश

सलाह दी जाती है प्रशासन को

ऐसे ही मशीन के आगे 

लाइन में कर्मचारियों को खड़े न करें अकारण।


कभी मेरी खरीद में 

धांधली का आरोप लगाया जाता है

कभी अधिकारी पर अनुशासित कारवाई का

दबाव बनाया जाता है।

मैं कथित अनुशासित,मेहनतकश समाज में आई हूं

पर इनकी हकीकत को देख कर शरमाई हूं।


अभी भी मन से मुझको

इन लोगों ने नहीं अपनाया है।

मुझको को अपने समाज से बाहर

निकाल देने का प्लान बनाया है।

पर मैं भी डटी रहूंगी

अटल पहाड़ की तरह

जब तक मानसिकता में बदलाव न आ जाए

इन मेहनती अनुशासित लोगों में।









बायोमैट्रिक


कमी मुझमें है तो
मुझको सुधारो।
कमी नियत में है तो
खुद को सुधारो।
मैं विकसित भारत का सपना देख रही हूं 
यूं मुझको न नकारो।

मैं कई वर्षों से टंगी हूं खूंटे पे
मुझे अपना फर्ज निभाने दो।
भूल न जाऊं काम अपना
मुझे अब हाजरी लगाने दो।

मैं मशीन हूं इंसान नहीं
मुफ्त की सेलरी मेरी फितरत नहीं।
मुझ को इक आशा से बनाया गया है
मुझे काम के लिए लगाया गया है।

बहुत देर हुई अब तो चला दो।
अगर डर लगता है हंगामे से तो
फोर्स मंगवा लो।

पर यह डर बेवजह है
यह भारत के लोग हैं
जागरूक, करुणामय और अनुशासित
दुनिया में कहीं भी अन्याय हो जाए तो 
ये ज्ञापन जरूर देते हैं। 
मशाल मार्च,धरना जरूर देते हैं।
तो फिर बायोमेट्रिक मशीन के साथ
अन्याय कैसे।

मैं भी अनुशासन को परखती हूं
तो यह मेरे दुश्मन कैसे हो सकते हैं।
डाल कर पर्दा मुझपर
मुझे कैसे घोंट सकते हैं।
जरूर यह पर्दा रस्म निभाने के लिए होगा।
जरूर रिबन काटेंगे उद्घाटन पर
नारियल फोड़ेंगे,
मिठाई बांट कर तालियों की आवाज़ में,
पर्दा हटाएंगे मेरे ऊपर से।







Saturday, 3 June 2023

लचीला

रुख जिंदगी का अपना 
कुछ लचीला रख ।
स्वभाव अपना कुछ सूखा 
तो कुछ गीला रख।
क्योंकि जिंदगी एक ही मिलती है 
जीने के लिए।
इसलिए सिर्फ दुश्मनी का ही 
दरवाजा मत ढीला रख।

मिलाप सिंह भरमौरी।

Sunday, 28 May 2023

सरकारी भूमि हूं

नजर गड़ाए फिरते हैं
ललचाए ललचाए फिरते हैं 
दिन रात षड्यंत्र रचाते हैं
मैं कैसे अपना अस्तित्व बचाऊं
अपनो का प्यार भूली हूं।
मैं सरकारी भूमि हूं।

चरागाह पर हो गए कब्जे
जंगल को तो सूखे निगले।
आंगन अपना कर लिया चौड़ा
शमशान घाट को भी न छोड़ा।
मैं वोट की खातिर सूनी हूं
मैं सरकारी भूमि हूं।

सरकारी रास्ते के खो गए पत्थर
बचपन में हम चलते थे जिन पर
कुएं पुराने भी नजरों में है
सड़क के आधे से कम हो गए मीटर
मैं रख रखाब से छूटी हूं
मैं सरकारी भूमि हूं।

........मिलाप सिंह भरमौरी।




पल पल

पल- पल  में    जो  डंसता  है।
वो  मन की  एक  अवस्था है।

जो समझ गया इस नुक्ते को
वह  सदा  खुशी  में रहता है।

अनजानेपन का लिहाफ उतारो
समझ  में  संयम  रहता  है।

सीखना है तो ईलम को सीखो 
सिर्फ ईर्षा से क्या बनता है ।

दौलत शोहरत क्या कर लेगी
जब भीतर आग सा जलता है।

   ....... मिलाप सिंह भरमौरी 




Sunday, 7 May 2023

शब्द


शब्द

शब्दों से  प्यार  करो।
शब्दों का सत्कार करो।

शब्द बनाए बिगड़े काम
शब्द बिगाड़े बनते काम
शब्दों की पहचान करो।

शब्द  दिलाते  मीठी  याद
शब्द  दिलाते  तीखी याद
शब्दों की न तीखी धार करो।

शब्द दिलाए तख्तोताज
शब्द छुड़ाए चलता राज
शब्दों से न बैर करो।

.......मिलाप सिंह भरमौरी।

Thursday, 20 April 2023

इंतजार


छोटी छोटी बातों पर भी
हो जाते हैं आग बबूले।

इस अमृत तुल्य जिह्वा से
फैंकते फिरते तीखी सूलें।

इंतजार को गाली देते
खुद को ही बस सच्चा कहते।

भाई अपनी भी तो हो सकती हैं 
पर गलती खुद की कौन कबूले।

.....मिलाप सिंह भरमौरी।