जब मेरे पहलु से होकर के तू आती-जाती है
मेरे जहन में कोई ग़ज़ल झिलमिलाती है
फूल खुशबु को उड़ा के समां रंगीन करते है
और हवा आँचल को उड़ा के अदा दिखाती है
सुर्ख होंठो का तवसुम तेरे तोबा-तोबा
महक जीस्म की तेरी जिगर को गुदगुदाती है
पहले ही इश्क में फिरता हूँ में घायल-घायल
और क्या कहूँ जब तू अदा से मुस्कुराती है
मेरी धड़कन भी चलती है कुश ज्यादा-ज्यादा
तेरी पायल भी कुछ ज्यादा खनखनाती है
MILAP SINGH
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