तेरे होंठो पे
तेरे होंठो पे सनम नही क्यों है
में बेबफा हूँ तुजे यकीन क्यों है
तेरे लिए में कितनी दूर आया हूँ
तू उसी मोड़ पर अभी खड़ी क्यों है
मैं न छोडूंगा तन्हा तुझे कभी भी
इजहारे मोहबत से तू डरी क्यों है
किस ख्याल ने तुझे उलझाया है
तेरी आँखों में ये नमी क्यों है
दिन बदलते ही लोग बदल जाते है
मेरा दिल जहाँ कल था वहीं क्यों है
मैं बेबफा नही रुस्बा न होने दूंगा
फेर के रुख मुझसे तू चली क्यों है
माना तेरे होंठो पे इंकार ही है
फिर भी दिल में कसक सी दबी क्यों है
milap singh
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