milap singh

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Thursday, 18 July 2013

हसरतें मर गई

हसरतें मर गई जिन्दगी रह गई
मन्दिरों में भटकती वन्दगी रह गई

हुस्न की जमाने में कद्र न हुई
फैशनपरस्ती में दवी सादगी  रह गई

किस तरह हुआ गजल से प्यार
बात दिल में 'मिलाप' राज की रह गई

गोशे -गोशे से जमाने ने लुटा मुझे 
नतीजा हिस्से में मेरे शायरी रह गई


........मिलाप सिंह भरमौरी 

Wednesday, 17 July 2013

वो इस तरह बिछड़ा

वो इस तरह बिछड़ा के मुझे खाली कर गया
मेरी अरमानों भरी दुनिया को पानी  कर गया

वक्त कितना बेरहम निकला के पलक झपकते ही
मेरी जिन्दगी की हकीकत को कहानी कर गया

एक लफ्ज वक्त-ए- रुखसत खुदा तुझपे भरोसा नही
सवाब उम्रभर के मेरे को बेमानी कर गया

तमाम  उम्र में कुछ न कुछ खोता ही रहा
मेरा मुक्कदर मुझ गरीब को दानी कर गया

यह अंजाम हुआ मेरी बफा का इक मजबूरी से
के मेरा मेह्बूव मुझे बेबफा के सानी कर गया

.........मिलाप सिंह भरमौरी 

Tuesday, 16 July 2013

दे गया दर्दे जिगर


कर रहा जख्म हरा हर लम्हा -लम्हा
दे गया दर्दे जिगर प्यार पहला-पहला

यादों में समाया है 'मिलाप' जमाना सारा 
बीत रही जिन्दगी मगर तन्हा- तन्हा 

हाथों में उसके लहू था या के मेंहदी थी
रंग तो था उसका  कुछ गहरा-गहरा 

दर्द की  इन्तहा होने वाली है शायद
लग रहा है समा अब ये सहमा- सहमा 

........मिलाप सिंह भरमौरी 

Monday, 15 July 2013

ये तेरी नजर भी

ये तेरी नजर भी कमाल करती है
मेरी रुकी सांसों में जान भरती है

कोई तलवार है न कोई खंजर
फिर भी ये काम तमाम करती है

देखने वाला लड़खड़ाए शराबी जैसा
न जाने कैसी ये चाल चलती है

अब जरूरत नही मैखाने जाने की
तेरी नजरों से मेरी जाम भरती है

जो ये  उठती है इतनी हमदर्दी से
शायद मोहावत का पयाम करती है

इसको समझने की कोशिस कर तू
ये कुछ न कुछ तो व्यान करती है



.....मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 12 July 2013

अदा-ए-हँसी

असर ऐसा हुआ है
अदा-ए-हँसी का 
के कारवां चल पड़ा है
साथ ख़ुशी का

जैसा चाहा था वैसा 
हमसफर दिया है
शुक्र कैसे करूं 
अदा मै नवी का

है सबसे जुदा 
वो मेह्बूव मेरा 
जैसे हिस्सा न हो
वो इस जमीं का 

वयां क्या करूं 
मै त्वसुम उसका
जैसे खिला हो गुल
अभी के अभी का 

असर ऐसा हुआ है
अदा-ए-हँसी का 
के कारवां चल पड़ा है
साथ ख़ुशी का



.....मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 11 July 2013

नश्तर चुभोये जाते हो

नश्तर चुभोये जाते हो
बाते बनाये जाते हो
रौशनी के बहाने से 
मेरा दिल जलाये जाते हो

मेरी किसी हरकत 
से चेहरे पे शिकन 
बड़े अंदाज से
 ये अदा भी दिखाए जाते हो

कभी गुस्से से देखना 
कभी प्यार से देखना 
उफ़ हर नजर में 
दीवाना बनाये जाते हो 

वक्त -ए- रुखसत तेरा
नये अंदाज से अलविदा 
उंगलिओं के इशारों पे
हमको नचाये जाते हो 

नश्तर चुभोये जाते हो
बाते बनाये जाते हो
रौशनी के बहाने से 
मेरा दिल जलाये जाते हो



.....मिलाप सिंह भरमौरी