कर रहा जख्म हरा हर लम्हा -लम्हा
दे गया दर्दे जिगर प्यार पहला-पहला
यादों में समाया है 'मिलाप' जमाना सारा
बीत रही जिन्दगी मगर तन्हा- तन्हा
हाथों में उसके लहू था या के मेंहदी थी
रंग तो था उसका कुछ गहरा-गहरा
दर्द की इन्तहा होने वाली है शायद
लग रहा है समा अब ये सहमा- सहमा
........मिलाप सिंह भरमौरी
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