milap singh

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Tuesday, 16 July 2013

दे गया दर्दे जिगर


कर रहा जख्म हरा हर लम्हा -लम्हा
दे गया दर्दे जिगर प्यार पहला-पहला

यादों में समाया है 'मिलाप' जमाना सारा 
बीत रही जिन्दगी मगर तन्हा- तन्हा 

हाथों में उसके लहू था या के मेंहदी थी
रंग तो था उसका  कुछ गहरा-गहरा 

दर्द की  इन्तहा होने वाली है शायद
लग रहा है समा अब ये सहमा- सहमा 

........मिलाप सिंह भरमौरी 

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