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milap singh
Thursday, 19 February 2015
Tanha kab hun
मैं तन्हा कब हूँ
तू साथ रहती है हमेशा ।
तुझको ही पाया मैंने
जब कभी कहीं भी देखा ।
लफ्ज में तू है, नब्ज़ में तू है
सांसों में तू , बातों में तू ।
तेरी ही परिछाई है यह जग सारा ।
लगता है इसका कण - कण तेरे जैसा ।
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