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सफलता ओर कुछ नहीं है यह बस इक चाह होती है
चलना होता है उस पर अविराम सामने जो राह होती है
कदमों को चूमता है फिर दिल्ली का नूरानी तख्त भी
और गली गली में हरसूं उस चाहत की वाह ! वाह होती है
----- मिलाप सिंह भरमौरी
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