milap singh

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Tuesday, 19 December 2017

पत्थर भी साज हो जाते हैं

कुछ भी कह दो यूंही वो भी राग हो जाते हैं।
हुनर अगर पास हो तो पत्थर भी साज हो जाते हैं।

हर तरफ कीचड है संभाल के रखना कदम अपने
वरना सफेद कपडों में ज्यादा ही दाग हो जाते हैं।

तोड देती हैं दिल को बातें संग लफ्जों की अकसर
बंद हौंठों से मगर हर इरादे राज हो जाते हैं।

सोचता हूँ छोड दूं लिखना और फाड दूं इन पन्नों को
मेरे लिखने से कई दोस्त मेरे नाराज हो जाते हैं।

                    .......... मिलाप सिंह भरमौरी

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