milap singh

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Wednesday, 20 December 2017

मौहाबत तो जताते हो

मौहाबत तो जताते हो निभाकर भी दिखाना।
हँसने न पाए कभी उस पर यह जमाना।

इक शाख हिलाने से सब पत्ते हिल जाते हैं
पर ढूंड न पाओगे हवाओं का ठिकाना।

कोई बदलाब नहीं आया पहले सा जमाना है
बस बाहर से नया लगता पर अंदर है पुराना।

हर गली मोहल्ले में फिर बातें उड जाती हैं
दोस्त आसान नहीं होता उन बातों को बैठाना।

               .......... मिलाप सिंह भरमौरी

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