बात हुई जब खुद की तो
कह दिया झटसे छौडो खैर।
सच को हवा बताने वाले
झूठ के गिनते देखे पैर।
ओरों से नहीं हो पाएगा
आ खुद से करके देखें वैर।
चुल्लू भर में डूबने वाले
भला पाएगें सोचो कितना तैर।
..... मिलाप सिंह भरमौरी
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बात हुई जब खुद की तो
कह दिया झटसे छौडो खैर।
सच को हवा बताने वाले
झूठ के गिनते देखे पैर।
ओरों से नहीं हो पाएगा
आ खुद से करके देखें वैर।
चुल्लू भर में डूबने वाले
भला पाएगें सोचो कितना तैर।
..... मिलाप सिंह भरमौरी
चारों ओर दिवारे हैं ।
कुछ लम्हें मीठे खारे हैं।
उलझ गया है किस उलझन में
पतझड के बाद बहारें हैं।
जीत हुई है उनकी अक्कसर
जो कई मर्तवा हारे हैं।
रहता नहीं अँधियारा हमेशा
हर रात के बाद उजियारे हैं।
इक लगन बनेगी सबल जीत की
बाकि सब झूठे लारे है।
...... मिलाप सिंह भरमौरी
क्यों बहशी बन रहा हदें शराफतों की लांघ कर।
अँधेरे में खो गया है तू खुद में कुछ सुधार कर ।
झूठी तमाम बातें हैं जो चौराहे पे लोग करते हैं
जन्नत नहीं मिलती कभी कोख में बेटियां मारकर ।
ये लालच से भरे हैं , कातिल खुद की सोचते हैं
पुण्य नहीं मिलता कभी खून की नदियां लांघकर।
यह कर्म धर्म की बातें कभी हिंसा नहीं सिखाती
अगर ऐसा कुछ कहा है तो इसमें कुछ सुधार कर।
~ मिलाप सिंह भरमौरी~