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नदी किनारे शाम को
जब दिन ढ़लता है।
सूरज धीरे- धीरे
पानी के बीच उतरता है।
ताजा हो जाती हैं फिर
भीगी सी यादें।
एक तूफान सा जैसे
आँखों के बीच उमड़ता है।
........ मिलाप सिंह भरमौरी
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