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milap singh
Thursday, 11 April 2013
न मचल मेरे िदल
न मचल मेरे िदल न मचल
ये है खाबों का तेरे महल
खाव टूटेगा जाएगा िबखर
कोई उडता है क्या पँखो के िबन
कोई जीता है क्या सांसो के िबन
मान हकीकत तू थाम ले जीगर
न मचल मेरे .....
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