फासले से अगर
देखता हूँ जिसे
हर चेहरा मुझे तो
तुम्हारा लगे
भूल कर भी तम्हे
भूल पाया नही
भूल जाना तुम्हे
ना गवारा लगे
खत्म होंगी नही
वक्त की वंदिशे
बडती जाएँगी पल-पल
यर रंजिशे
मत सुनो जहन की
दरकिनार करो
गर आने को कुछ दिल
तुम्हारा करे
सारी दुनिया को मै
अलग छोड़ कर
तुज्को लेने आंऊ
हर कसम तोडकर
निकल आयेंगे
कई नये रास्ते
थोडा- सा भी अगर
तू इशारा करे
....milap singh bharmouri
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