milap singh

milap singh

Monday, 29 April 2013

फासले से अगर


फासले से अगर
देखता हूँ जिसे 
हर चेहरा मुझे तो
तुम्हारा लगे
भूल कर भी तम्हे 
भूल पाया नही
भूल जाना तुम्हे 
ना गवारा लगे

खत्म होंगी नही
वक्त की वंदिशे
बडती जाएँगी पल-पल
यर रंजिशे 
मत सुनो जहन की 
दरकिनार करो
गर आने को कुछ दिल
तुम्हारा करे

सारी दुनिया को मै
अलग छोड़ कर
तुज्को लेने आंऊ
हर कसम तोडकर
निकल आयेंगे 
कई नये  रास्ते
थोडा- सा भी अगर 
तू इशारा करे

....milap singh bharmouri

No comments:

Post a Comment