इक गलती की
जेल गया
नेता ने छुडाया
एहसान कर दिया
फैंके टुकडों पर दंगे किए
धीरे धीरे डोन बन गया
फैलाया खूब आक्रोश
थी पोलिटिकल सपोर्ट
जब कोई न हुई राजी
जबरन करनी चाही शादी
नशा आहार नशा पेय
हर कुछ उसका नशा बन गया
अपनो से झगडा
ओरो से झगडा
अंदर झगडा बाहर झगडा
मारमारपीट
उसका धर्म बन गया
आखिर
ऐसा आलम कब तक चलता
सुना है
कुछ दिन पहले वो
जहर खा कर मर गया
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
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