हम बंजर में भी फसल उगा लेंगे
सारी दुनिया को फिर चौंका देंगे
गर बादल नहीं अम्बर में तो क्या
हम अपना खून पसीना बहा देंगे
मेरे देश से बढकर कुछ भी नहीं
हम सर्वस्व ही अपना लुटा देंगे
मां प्राण रहे या न रहे इस तन में
पर तेर स्वाभिमान हम लौटा देंगे
------- मिलाप सिंह भरमौरी
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