milap singh

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Monday, 30 June 2014

Nashe ki lat

नशे की लत
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जितने भी फंसे इस नशे की लत में
वो तन मन धन सब खो बैठे

कुछ ने मांगी भीख यहां पर
कुछ जुर्म की दुनिया के हो बैठे

कुछ अकेले के अकेले रह गए
सब रिश्ते नातों से हाथ धो बैठे

कुछ खुदकुशी भी यहां करते देखे
कुछ दुर्घटना में मौत की नींद सो बैठे

कुछ एनकाउंटर में मारे गए और
कुछ सलाखों के पीछे के हो बैठे

जितने भी फंसे इस नशे की लत में
वो तन मन धन सब खो बैठे

----------- मिलाप सिंह भरमौरी

                 

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