आप खावों में मेरे जब आते हैं
फूल खुश्बू और रंग बन जाते हैं
हर तरफ खुशियाँ नजर आती हैं
और गम के बादल भी छंट जाते हैं
------- मिलाप सिंह भरमौरी
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आप खावों में मेरे जब आते हैं
फूल खुश्बू और रंग बन जाते हैं
हर तरफ खुशियाँ नजर आती हैं
और गम के बादल भी छंट जाते हैं
------- मिलाप सिंह भरमौरी
मोहावत को जताने के लिए
कब लफ्जों की जरूरत रहती है
यह तो है खुश्बू की तरह
इसे नजरें भी अच्छे से कहती हैं
इसकी जद में आ कर के सब
खोए खोए से मस्ती में रहते हैं
इसमें उलझे हुए को फिर कब
दुनिया की खैर खबर कुछ रहती है
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
मौसम जब बदलता है
खुद महसूस होने लगता है
जब बच्चे को भूख लगती है
वो भी तो रोने लगता है
दिल की बात को भी दिल
खुद ही जान लेता है
जब कोई अच्छा लगने लगता है
खुद बेकाबू होने लगता है
------- मिलाप सिंह भरमौरी
बहुत खूबसूरत होते हैं
पल तेरे दिदार के
जैसे जन्नत को पा जाता हूँ मैं
तेरा रूप लगता है
जैसे खुशियों का दरिया
खो कर उसमें समा जाता हूँ मैं
ऐसा महसूस होता है मुझे
कुछ तेरे करीब आने से
जैसे खुदा को ही पा जाता हूँ मैं
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
धर्म को मत बदलो
धर्म में बदलाव करो
क्यों सांई का इशू बनाते हो
दलित समस्या की ओर ध्यान करो
इक ओर धर्म संसद बुलाओ
इक ओर महासंगीती का आह्वान करो
महाकुरीती बन चुकी है यह जातिप्रथा
इस महाकुरीती का कुछ समाधान करो
इसके कारण ही धर्मान्तरित हुए हैं सब
तुम जान के मत अनजान बनो
धर्म को मत बदलो
धर्म में बदलाव करो
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
मैं अक्सर सोचता हूँ तन्हाई में
कि यह बातें करूंगा तुमसे
खुल कर कह दूँगा हर बात
कल सुबह जब मिलूंगा तुमसे
पर फिर चुप रह जाता हूँ मैं
रोज की तरह यह सोचकर कि
अगर खफा हो गई मुझसे तो
फिर किस तरह मिलूंगा तुमसे
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
तुझसे अच्छा कोई
लगता ही नहीं है
तेरे सिवा कोई ओर
जंचता ही नहीं है
कैसे पलको को उठा लूं
मैं तेरे चेहरे से
कि तुझको देखे बिना
जी भरता ही नहीं है
---- मिलाप सिंह भरमौरी
हर पल तुझे सोचता रहता हूँ
मेरी धडकनो में समा गई है तू
हर कहीं तुझको ही देखता हूँ
मेरे जिस्मो जां में छा गई है तू
अब तुम्हें पा लूं या नहीं पा लूं
कुछ फर्क नहीं पडता है मुझे
तन को छू कर मन से मेरे अब
जर्रे जर्रे रुह तक आ गई है तू
------- मिलाप सिंह भरमौरी
मोहावत सब कुछ नहीं है जमाने में
मन लगाओ यार तुम कुछ कमाने में
वरना कृष्ण शादी न करता राधा से
क्यों लेते हो नाम उनका हर बहाने में
------ मिलाप सिंह भरमौरी
शांति समृद्धि भक्ति की प्रर्थना से
शुरू होता है विद्यार्थी का दिन
भारत की सनातन विद्या पद्धति
निखार रही है बच्चों का जीवन
तू सिर्फ फूल नहीं है डाली का
इस गुलशन की शान है तू
धडकन कैसे कह दूँ तुझको
मेरी तो सच जान है तू
लोग तेरे नाम से मुझे पुकारे
तुझे देख के मुझको इशारे
तू नहीं हैं मुझसे जरा जुदा
मेरी तो अब पहचान है तू
आदमी वो अपने दम से
महान हो जाता है
अपने देश अपनी मिट्टी की
वो शान हो जाता है
मरता तो हर कोई है
इस दुनिया में आकर
पर शहीद वही है जो
देश के लिए कुर्बान हो जाता है
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
- - - मिलाप सिंह भरमौरी
घर घर में आए खुशहाली
और आगे बढता रहे समाज
सूरज बन कर जग में चमके
अपने भारत देश की शान
स्वतंत्रता दिवस की सबको बधाई
सभी शहीदों को दिल से प्रणाम
------ मिलाप सिंह भरमौरी
जिंदगी में खुशियाँ बहुत है
पर उलझने भी बहुत आती है
ऐसे फंसते है पैर कीचड में
कि आसान रास्ते भी उलझ जाते हैं
जिंदगी दिखती है फिर
अंधेरे में इक सितारे की तरह
कर्म के उपदेश हमें जब
पवित्र भागवत गीता सुनाती है
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
दिलो दिमाग की
बत्ती गुल हो जाती है
परिस्थिति जब भी
टेंशन से फुल हो जाती है
छोड देते हैं हम भी
सब फिर उस रव पर
सारी की सारी चिंता
पल में गुम हो जाती है
---- मिलाप सिंह भरमौरी
Hindi shayari
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उसके ख्याल में ऐसा भी
रखा क्या है
कि कुछ पता नहीं चलता
कोई कहता क्या है
तोड दे खामोशी अब
कह दे दिल की बात उससे
नासूर बन जाएगें जख्म
दर्दे दिल सहता क्या है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
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फिर आया अजनबी कोई याद मुझे
फिर मिला कोई वर्षों के बाद मुझे
फिर हुई जीने की तमन्ना मुझको
फिर मिला जिंदगी का साज मुझे
फिर मेरी धडकनो को रफ्तार मिली
फिर छू गया दिल से कोई आज मुझे
फिर मिली मुझको इक नूरे छपक
फिर मिला कोई हसीन आफताब मुझे
फिर से जिंदगी को मैंने पहचाना है
फिर मिला जीने का कोई राज मुझे
------- मिलाप सिंह भरमौरी
मुँह में मिठाई है और माथे पर है चंदन
राखी से लग रही कलाई ओर भी चंचल
सुख और समृद्धि की कामना के साथ
सभी भाई बहनों को मुबारक रक्षाबंधन
शाहजहां की अय्याशी को
यह बारीकी से दर्शाता है
दुनिया के नक्शे पर जो
ताजमहल कहलाता है
लोगों को झौंपड नसीब नहीं थे
भूखे नंगे रहते थे
और इश्क की खातिर कब्र पे वो
लाखों करोडों लुटबाता है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
भूल तो जाऊं मैं तुझको
पर इस दिल को कैसे समझाऊँगा
वो प्यार के वादे झूठे थे सब
कैसे इसको बतलाऊंगा
यह तो अब भी तुमको चाहता है
सह न पाएगा तुमसे बिछुडना
टूटे हुए इस दिल को कैसे
मैं किन बातों से बहलाऊंगा
------- मिलाप सिंह भरमौरी
मुमकिन नहीं है
अब तुम्हें भूल जाना
भूलाने के लिए
खुद को भूल जाना पडेगा
कयामत के आगे
गिला क्या करें
इश्क के लिए
सिर को कटाना पडेगा
खोकर के खुद का
खाक में सब कुछ
वादा बफा का
हमको निभाना पडेगा
---- मिलाप सिंह भरमौरी
दिल के दो टुकडों को
हम न सी सकेंगे
आंसुओं के धारो को खुद
हम न पी सकेंगे
छोड कर न जाना हमें कभी
तन्हा तेरी कसम
कि तेरे बगैर हम तो
दो पल भी न जी सकेंगे
------ मिलाप सिंह भरमौरी