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दिल के दो टुकडों को हम न सी सकेंगे
आंसुओं के धारो को खुद हम न पी सकेंगे
छोड कर न जाना हमें कभी तन्हा तेरी कसम
कि तेरे बगैर हम तो दो पल भी न जी सकेंगे
------ मिलाप सिंह भरमौरी
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