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इसकी गहराई को भला कब कोई भांप पाया है
अथाह है प्यार का समुंदर इसे कौन माप पाया है
खुद खिंचता ही गया है फिर चुम्बक की तरह इसकी ओर
अनजाने में ही बेशक जो भी इसके पास आया है
----- मिलाप सिंह भरमौरी
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