Hindi shayari
रात भर बादल गरजते बरसते रहे
हम तन्हा दिवारों में तरसते रहे
कोई लेकर न आया शबनम की बूंदें
हम प्यासे के प्यासे तडफते रहे
और करते भी क्या लाचारी में हम
बस बर्बादी पे अपनी हम हंसते रहे
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
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