milap singh

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Sunday, 31 December 2017

दो हजार अठारह



दो हजार अठारह

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चमक उठे किसमत का सितारा।

हर दिन हो सबका प्यारा प्यारा।

खुशियां  पल  पल  आती  जाएं

गम जीवन के  हो नौ दो ग्यारह।

रौशन  हो  हर   दिशा  सोच  की

मिटे अँधकार इस मन का सारा।

मन   का  भेद  न  बने  किसी से

फले   फुले  स्वच्छ जीवन धारा।

विपत न आए कोई इस धरती पे

मंगलमय  हो दो  हजार अठारह।

            ~मिलाप सिंह भरमौरी~

मेरी और से आपको और आपके परिवार को नव वर्ष दो हजार अठारह के आगमन की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई। नया वर्ष आपके लिए मंगलमय हो।

Saturday, 30 December 2017

Happy New Year 2018


उत्कर्ष हो हर्ष का ।
शुभ असर मिले संघर्ष का।
हर दिन लाए इक नई खुशी।
हो खुशियों से भरा कलेंडर नए वर्ष का ।

...... मिलाप सिंह भरमौरी

वर्ष 2018 के  शुभ आगमन पर आपको और आपके परिवार को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं।

Wednesday, 27 December 2017

किनारे भी बन जाते है

दरिया जब बनता है किनारे भी बन जाते हैं।

दुखों  के आने  पर सहारे भी  मिल जाते हैं।

परिवर्तन तो तय है हर पल निरंतर चलता रहता

फूल पुराने मुरझाने पर पुष्प नए खिल जाते हैं।

नया नया वाकिफ है गम से आँसू तो निकलेगें 

धीरे धीरे सब दुनिया के सांचे में ढल जाते हैं।

सुप्त पडा है जल तो क्या खामोशी भी तोडेगा 

बहते हवा के  झौंके से धारे  भी बन जाते हैं।

                ............. मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 21 December 2017

सडकों पे लगाते नारे लोग

दुनिया में बहुत नजारे देखे।
चांदनी रात में तारे देखे।

जो दिल को चीरते जाते थे
ऐसे भी बहुत इशारे देखे।

नदियां शहद मिलाती रहतीं
समुंद्र फिर भी खारे देखे।

दुनिया को दीया दिखाने वाले
वो खुद के आगे हारे देखे।

जिनको मसले मालूम न थे
वो भी सडकों पे लगाते नारे देखे।

....... मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 20 December 2017

मौहाबत तो जताते हो

मौहाबत तो जताते हो निभाकर भी दिखाना।
हँसने न पाए कभी उस पर यह जमाना।

इक शाख हिलाने से सब पत्ते हिल जाते हैं
पर ढूंड न पाओगे हवाओं का ठिकाना।

कोई बदलाब नहीं आया पहले सा जमाना है
बस बाहर से नया लगता पर अंदर है पुराना।

हर गली मोहल्ले में फिर बातें उड जाती हैं
दोस्त आसान नहीं होता उन बातों को बैठाना।

               .......... मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 19 December 2017

पत्थर भी साज हो जाते हैं

कुछ भी कह दो यूंही वो भी राग हो जाते हैं।
हुनर अगर पास हो तो पत्थर भी साज हो जाते हैं।

हर तरफ कीचड है संभाल के रखना कदम अपने
वरना सफेद कपडों में ज्यादा ही दाग हो जाते हैं।

तोड देती हैं दिल को बातें संग लफ्जों की अकसर
बंद हौंठों से मगर हर इरादे राज हो जाते हैं।

सोचता हूँ छोड दूं लिखना और फाड दूं इन पन्नों को
मेरे लिखने से कई दोस्त मेरे नाराज हो जाते हैं।

                    .......... मिलाप सिंह भरमौरी