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तू एक अनबुझी सी प्यास है जो हरपल मेरे साथ रहती है
तू इक अधूरी सी तालाश है जिसके लिए रूह तडफती है
काश! तू मिल जाए बुझ जाए प्यास खत्म हो जाए मेरी तालाश
पर तू बेदर्द , बेरहम अलगर्ज सी कब मेरे दिल की समझती है
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
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