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देख परख कर के दुनिया में कदम रखने होते हैं
यूंही जज्बाती नहीं होते यह कुछ ढकने होते हैं
जुबां की कही को तो कोई भी समझ लेता है
पर खामोशी को समझ ले जो वही अपने होते हैँ
------ मिलाप सिंह भरमौरी
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