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मौहब्बत तुमसे इतनी है गगन में जितने तारे हैं
ये समुंदर की है गहराई या आंखों के इशारे हैं
जफा की तू आतिश है बफा की भी तू शबनम है
जला दे या भिगो दे तू हम आशिक तो तुम्हारे हैं
---- मिलाप सिंह भरमौरी
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