milap singh

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Monday, 12 January 2015

Mohabat

मौहब्बत तुमसे इतनी है
गगन में जितने तारे हैं

ये समुंदर की है गहराई
या आंखों के इशारे हैं

जफा की तू आतिश है
बफा की भी तू शबनम है

जला दे या भिगो दे तू
हम आशिक तो तुम्हारे हैं

---- मिलाप सिंह भरमौरी

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