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सुनने वाला अचानक ही इक झटका सा खा जाता है
जब चली हुई किसी बात में जिक्र तुम्हारा आ जाता है
वैसे भी कब बस चलता है जब मन से दिल हट करता है
फिर चढते चढते नशा तुम्हारा जिस्मो जां तक छा जाता है
---- मिलाप सिंह भरमौरी
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