A place for original Hindi shayari sad shayari romantic shayari hindi kavita and pahari kavita of milap singh
कह रहा हूँ मैं जो हिदायत मान लो
तुम सबसे नजर मिलाने की आदत सुधार लो
शर्म हुस्न का गहना है कुछ हया करो
अगर थोडी भी बची नहीं कुछ उधार लो
No comments:
Post a Comment