कालाधन अब हो चुका शवेत
बैठ के बस तू तमाशा देख
इतने सालों से हल्ला पडा था
निश्चिंत थे क्या वो कमरे में बैठ
खाली अकाउंट रह गए होंगे
ले गए होंगे भर पैसे के बैग
तीन लाख नहीं है अब मिलने वाले
आवरण तू खोल के सपनों का फैंक
------- मिलाप सिंह भरमौरी
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