milap singh

milap singh

Tuesday, 18 November 2014

खुदगर्ज से मोहब्बत


खुदगरजों से मोहब्बत कैसी
खुदगर्ज तो अपनी ही सोचेंगे

अगर इससे हो मुनाफा इनका
तो तुझे मरने से भी क्यों रोकेंगे

सुन तेरी मोहब्बत का उन्हें
जरा भी एहसास नहीं होगा

वो तो सिर्फ मूर्ख कहेंगे तुमको
और खिलखिला कर ताली ठोकेंगे

------ मिलाप सिंह भरमौरी

No comments:

Post a Comment