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अब तेरे सिवा कुछ भी भाता नहीं चैन पल भर तेरे बिन आता नहीं
नींद आती नहीं अब रात भर मुझे दीद तेरा न हो दिन भी जाता नहीं
सुरमई आंखों से नशा चढ जाता है तस्बुर-ए-हुस्न से दर्द बढ जाता है दर्द की तू दवा क्यों मेरे लाता नहीं
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
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