milap singh

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Friday, 31 October 2014

Uphaar


अब ओर क्या उपहार दें
हम हैं तमाम आपके

तेरे लिए दरिया आग के भी
लगते हैं आसान रास्ते

कैसे कहें कि किस तरह
शामिल हैं आप मेरे जिस्मोजां में

आता है धडकन की धक धक में
तेरा ही नाम सांस से

------ मिलाप सिंह भरमौरी

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