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बहुत गहरा है इश्क का समुंदर इसमें खोने पाने का कोई सवाल नहीं रहता
महबूब की तो नख शिख की खबर होती है मगर अपना कुछ भी ख्याल नहीं रहता
नरम हो जाते हैं फिर कठोर दिल वाले भी चेहरे पर वो नफरत वो उबाल नहीं रहता
---------- मिलाप सिंह भरमौरी
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