बचपन में सपने भी
कितने सुन्दर आते थे
आसमान में बिन पंखों के
खुद को उडते पाते थे
थोडे से जब बडे हुए
स्कूल कालेज को जाने लगे
फिर सपनों में भी सुंदर सुंदर
हसीन चेहरे आने लगे
जब बुढापे में पहुंच गए
तो सपने भी डराने लगे
मरे हुए लोगों से फिर
शमशान घाट पर बतियाने लगे
------- मिलाप सिंह भरमौरी
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