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पेड की छाया में पत्थर पर बैठकर
बहुत अच्छी लगती है मक्की की सरसराहट
आत्मा का जैसे हो परमात्मा से मिलन
जीवन में आती है जैसे सकून की आहट
------ मिलाप सिंह भरमौरी
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