बहुत बुरी है नशे की आदत
घर में रहती है सदा ही बगावत
तन मन धन सब खो जाता है
कभी न डालना गले यह आफत
सिकुड जाता है सोच का दायरा
सब रौंद डालती है यह शराफत
सफेद कालर नहीं रौब जमाती
कीचड में रौलती है यह इज्जत
अभी भी वक्त है तू सुधर जा वंदे
देख हलात की कुछ तो नजाकत
------- मिलाप सिंह भरमौरी
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