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छोटी छोटी बातों पर जब जोर से खुलकर रो लेते थे
बचपन के वो दिन बहुत ही सुंदर होते थे
अपने पराये का पता नहीं था सब कुछ न्यारा लगता था
चांद सितारों पर चलने के जब सुंदर सपने बोते थे
------ मिलाप सिंह भरमौरी
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