milap singh

milap singh

Saturday, 20 December 2014

समानता लादे


सर्दी के दिन है सर्दी की रातें
हो रही हैं कोहरीली बरसातें

जम चुकी है स्याही कलम की
लिखें कैसे अब दिल की बातें

बेघर फुटपाथ पे ठिठुर रहे हैं
खो रहे हैं वो अब अपनी जानें

पूंजीपति को फर्क क्या इससे
हो रही उसकी रंगीन नित रातें

सबके पास हो बुनियादी चीजें
कोई समाज में समानता ला दे

   ----- मिलाप सिंह भरमौरी

No comments:

Post a Comment