हर पल तन्हा रहना ठीक नहीं है
जरा लोगों से भी कुछ मिला करो
क्यों मुरझाए मुरझाए रहते हो
कभी फूल बन कर भी खिला करो
गर तारीफ किसी की मुमकिन नहीं
तो अगल बगल में तुम गिला करो
पर ये तेरा तन्हा रहना ठीक नहीं है
जरा लोगों से कुछ मिला करो
------ मिलाप सिंह भरमौरी
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